
एक चित्रकार की कहानी -A Painter
एक बार की बात है | किसी शहर में एक चित्रकार रहता था जो कि बहुत ही अच्छी पेंटिंग बनाता था | वे जो भी पेंटिंग बनाता था, पूरे मन तथा लगन से बनाता था | उसके द्वारा बनाई गयी पेंटिंग्स बिलकुल वास्तविक लगती थी | पेंटिंग बनाना ही उसका मुख्य कार्य था |
एक बार उस पेंटर ने एक बहुत ही खूबसुरत चित्र यानि कि पेंटिंग तैयार की तथा पूरी बन जाने के बाद पेंटिंग को देखा तो उसे उस पेंटिंग में कहीं पर भी कोई गलती नज़र नहीं आई | उसने उस पेंटिंग को शहर के बीच चौराहें पर लगा दिया और उसके पास एक नोटिस लिखकर रख दिया | नोटिस में उसने लिखा था, कि जिस किसी व्यक्ति को इस पेंटिंग में कोई गलती नज़र आएं | वह उस गलती को दर्शाने के लिए उस पर लाल रंग की बिंदी बना दें |
शाम को जब पेंटर अपनी पेंटिंग लेने उसी चौराहें के पास आया तो वह बहुत उदास हो गया | क्योंकि उसने देखा कि उसकी पेंटिंग पर इतने सारे लाल रंग से बिंदी बने हुए थे, कि पेंटिंग पूरी तरह से ख़राब हो चुकी थी | अब चित्रकार उस पेंटिंग को लेकर घर आ गया और उसने अपने दोस्त को उस पेंटिंग के बारे में बताया | उसके दोस्त ने उसे दिलासा देते हुए कहा कि तुम ठीक ऐसी ही पेंटिंग एक और बनाओ तथा उसे भी बीच चौराहें पर लगा आना और यह नोटिस लिखकर रखना कि जिसे भी इस चित्र में कोई गलती नज़र आए, वह उस गलती को सुधार दें | उस चित्रकार ने ठीक वैसा ही किया जैसे उसके दोस्त ने बताया था | अपनी दूसरी बनाई हुई पेंटिंग को भी उसने उसी तरह बीच चौराहें पर लगा दिया | साथ ही उसके पास कुछ रंग तथा एक नोटिस लिखकर रख दिया |
इस बार फिर जब वह शाम को उस पेंटिंग को लेने गया, तो वह बहुत आश्चर्यचकित हो गया | क्योंकि इस बार उसकी पेंटिंग बिलकुल पहले जैसी ही थी | उसमें किसी ने भी कोई गलती सही नहीं की थी |
शिक्षा :- इस कहानी का मुख्य उद्देश्य यह है कि आपकी गलतियाँ सभी लोगों को नज़र आ जाती हैं लेकिन उस गलती को सुधारने में आपकी मदद कोई नहीं करता |