एक बार की बात है, कछुओं का एक परिवार होता है | गर्मियों का मौसम आ चुका था, तो वे सभी कछुएं कही दूर पिकनिक पर जाना चाहते थे | तो उन सभी में से जो उस कछुआ परिवार का मुखिया था उसने कहा जब लोग पिकनिक पर जरुर जाएंगे पर कहाँ जाए | अब पिकनिक के लिए किस जगह जाए ये सोचने में उन्हें एक साल लग गये | अंत में उन सब ने एक जगह तय की, जहाँ पर वे सभी पिकनिक के लिए जाएंगे | सभी कछुएं पिकनिक के लिए चल पड़े, जहाँ उन्हें जाना था वहां तक जाने में उन्हें साथ साल लग गए |

सात साल बाद वे सभी कछुएं पिकनिक के लिए उस जगह पर पहुँच गए और उन सभी को भूख भी बहुत तेज़ लग गई थी | इसलिए वे सब जो भी खाने को लाए थे, उन्हें खोलना शुरू किया इसमें भी उन्हें छ: महीने लग गए | बाद में याद आया कि वे सब नमक लाना तो भूल ही गए और खाने का नमक के बिना क्या स्वाद | अब नामक लाने के लिए वापस कौन जाएगा, ये फैसला करने के लिए मुखिया कछुएं ने मीटिंग रखी | वैसे तो सभी कछुएं बहुत धीरे चलते हैं लेकिन उन में से भी सबसे छोटा कछुआ उन सब से तेज़ चलता है, तो उन सबने मिलकर यह फैसला लिया कि नमक लाने छोटा कछुआ जाएगा | क्योंकि जितना समय हम सब को आने में लगा था, ये उससे जल्दी ही वापस आ जाएगा |
लेकिन छोटे कछुएं ने जाने से मना कर दिया तब उस मुखिया ने उससे न जाने की वजह पूछी | इस पर उस छोटे कछुएं ने कहा कि अगर मैं नमक लाने घर गया तो आप लोग सारा खाना ख़त्म कर दोगे | उसकी इस बात पर घर के सभी कछुएं ने उसे समझाया और दिलासा दिया कि तुम्हारे आने से पहले हम खाने को छुएंगे भी नहीं | अब छोटे कछुएं को जाना ही पड़ा, आखिरकार रो-धोकर वो जाने को तैयार हो गया |
इसके बाद सभी कछुएं उसका नमक लेकर आने का इंतज़ार कर रहे थे, इंतज़ार करते-करते एक साल बीत गये फिर दो साल बीत गए पर कछुआ नहीं आया | सबको भूख भी बहुत लग गई थी तो भूख मिटाने के लिए उन सबने सोचा कि बिना नमक के ही खाना खा लेते हैं | लेकिन बाद में छोटा कछुआ पेड़ के पीछे से आकर बोला मुझे पता था, इसलिए तो मैं गया ही नहीं | जिम्मेदारियाँ हमेशा परिपक्व व् सकारात्मक सोचने वाले व्यक्ति को ही देनी चाहिए | परिवार में विश्वास होना बहुत जरुरी है |