
गलत बात सौ बार भी कही जाए तब भी वह गलत ही होता है -The wrong thing is said even hundred times even then it is wrong
एक राज्य में एक बहुत ही अच्छा राजा था | उसके राज्य के लोग और उसकी प्रजा सदैव खुश रहती थी | उस राज्य के सभी लोग खुश रहते थे और अपने राजा की प्रशंसा करते थे | उनके राज्य में किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं थी | वहां के सभी लोग अपना जीवन हंसी-ख़ुशी बिता रहे थे | उसी राज्य में एक जादू-टोना करने वाली औरत भी रहती थी | वह पूरी प्रजा तथा वहां रहने वाले सभी लोगो को खुश देखकर यह सोचती थी कि यहाँ के सभी लोग कितने खुश हैं और एक मैं ही अकेली परेशान हूँ | उस औरत से उन सभी लोगों की ख़ुशी देखी नहीं जा रही थी | उसने सोचा कि मुझे कुछ ऐसा करना चाहिए, जिससे इस राज्य के सभी लोगों की खुशियाँ ख़त्म हो जाएँ | उसे जादू-टोना करना तो पहले से ही आता था | एक रात उसने जादू-टोना करके उसी गाँव के एक कुएं में कुछ डाल दिया | अब जो भी उस कुएं का पानी पीता, वे पागल हो जाता | वह गाँव बहुत छोटा था और वहां केवल एक ही कुआं था | सभी लोग उसी कुएं से पानी लेते थे |
अगले दिन सुबह रोजाना की तरह लोग उठे और उसी कुएं से पानी भरकर ले गए | गाँव के जितने लोगों ने उस पानी को पीया वह पागल होते जा रहे थे और धीरे-धीरे करके गाँव के सभी लोग पागल हो गए | पागल हो जाने के बाद सभी लोग अलग-अलग जगह एकत्र होकर अपने राजा की बुराई करने लगे | राजा शानोशौकत से देर से उठा करते थे इसलिए अभी तक राजा ने वह पानी नहीं पीया था | जब राजा को यह बात पता चली कि कल तक जो लोग उसकी इतनी प्रशंसा करते थे, उससे इतना खुश रहा करते थे | आज वे सभी अचानक उसकी बुराई क्यों करने लगे | आखिर उन्हें क्या हुआ है |
राजा बहुत ही चालाक था | उसने उसी कुएं से पानी मंगवाया और दो गिलास पानी लिए, जिनमे से एक गिलास पानी उसे खुद पी लिया तथा दुसरे गिलास का पानी मंत्री को पीने को दिया | थोड़ी-ही देर बाद गाँव में चर्चा होने लगी कि हमारा राजा ठीक हो गया है, वह बेकार नहीं है, वह बहुत-ही अच्छा राजा है |
असल बात तो यह थी कि राजा ठीक नहीं बल्कि पागल हो गया था और ठीक तो वह पहले थे, जब गाँव के सभी लोग पागल थे | जब उसने भी उस कुएं का पानी पी लिया, तो वह भी गाँव के बाकी लोगों की तरह पागल हो गया | यानि कि पागल लोगों के बीच पागल राजा और पागल मंत्री, इसलिए पागल लोग अपने पागल राजा को फिर से पसंद करने लगे |
शिक्षा :-
- जो स्वयं खुश न हो, वह दूसरों को खुश देख नहीं सकता |
- भीड़ के साथ खड़ा होना आसन होता है लेकिन अकेले खड़े होने के लिए साहस की जरुरत होती है |
- दिखाई गई चीजों पर यकीन न करें, फोटोशोप की हुई इमेज पर यकीन न करें | आज भी हमारे देश की ऐसी स्थिति है जहाँ लोग फोटोशोप की हुई इमेज के लिए दंगे शुरू कर देते हैं | ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हम दिखाई गई चीजों पर यकीन कर लेते है, लेकिन भगवान् का दिया हुआ सबसे अच्छा उपहार ‘माइंड’ का उपयोग नहीं करते |