
Emotions बहुत शक्तिशाली होते है, emotions ही हमें drive करते हैं | इमोशन बढ़िया हो गये तो आप performer बन जायेंगे और यदि इमोशन ख़राब हो गये तो आप parasite बन जायेंगे | एक आर्गेनाइजेशन के अन्दर एक इंसान performer बनेगा या parasite ये निर्भर करता है उसके क्वालिटी ऑफ़ इमोशन पर | भगवत गीता का छठा अध्याय पूरा emotion से सम्बंधित है | अगर आप emotion handle करना सीख गए तो आप बहुत तेज़ी से आगे निकल जायेंगे | इस पोस्ट में दो ऐसे टिप्स बताए गए हैं जिससे आप अपने emotion पर काबू पा सकते हैं |
- हर नकारात्मक घटना में कुछ-न-कुछ सकारात्मक इरादा होता है –Every Negative Incident Has a Positive Intent
हर एक नकारात्मक घटना में एक-न-एक सकारात्मक इरादा होता है | जिस प्रकार शिकायत एक उपहार है उसी प्रकार नकारात्मक भावना भी एक प्रकार का उपहार ही है | हर एक नकारात्मक भावना के पीछे कुछ छुपा होता है, वही आपको ढूँढना है | उपहार केवल खुबसूरत डिब्बों में नहीं आता है बल्कि हर एक नेगेटिव emotion भी हमारे जीवन में गिफ्ट की तरह आता है, हर नकारात्मक इरादा भी आपके जीवन में गिफ्ट की तरह आता है | हर एक शिकायत भी आपके जीवन में गिफ्ट की तरह आता है और tregedy भी गिफ्ट की तरह ही आता है | हर एक गिफ्ट खुबसूरत डिब्बों में नहीं आता हैं, वे आपको ढूँढना पड़ेगा कि गिफ्ट कहाँ छुपा हुआ है | जैसे ही आप अपने दिमाग को सूचित करते हैं कि ये आपका गिफ्ट है, तब दिमाग उस गिफ्ट तक जाने का तरीका खुद ढूँढ लेता है | जब आप वस्तु को देखने का नजरिया बदलोगे, तब वस्तु भी आपको बदली हुई ही नज़र आने लगती है | आपका का परफॉरमेंस आपके emotion पर निर्भर करता है | यदि आपके पास सकारात्मक भावना होगी तो आप Performer बन जायेंगे और अगर आपके पास नकारात्मक भावना होगी तो आप Parasite बन जायेंगे | Mindset यानी कि मानसिकता ठीक होती है तो Skillset भी ठीक रहता है | हर emotion के पीछे कुछ मेसेज छिपा होता है | महत्वपूर्ण ये है कि हमें उस मेसेज को पहचानना है |
- अपने इमोशन में तीन सकारात्मक सन्देश को पहचानिए – Identify Three positive messages in your emotions
अगर आपकी फिजियोलॉजी ठीक होगी तो साइकोलॉजी भी ठीक होगी यानी कि शरीर क्रिया विज्ञान में गति से मनोविज्ञान की भावना पर प्रभाव पड़ता है | फिजियोलॉजी तथा साइकोलॉजी दोनों का मजबूत होना जरूरी है यदि दोनों ही ठीक हो जाते है तब सफलता प्राप्त होती है | motion और emotion दोनों का ठीक होना जरुरी है जब दोनों ठीक हो जाते हैं तो सफलता मिल जाती है | साइकोलॉजी का तात्पर्य emotion से तथा फिजियोलॉजी का तात्पर्य motion से है | केवल कार्य से काम नहीं चलेगा हमें अपनी अनुभूति भी ठीक करनी होगी | Action यानी कि कार्य तथा Perception यानी कि अनुभूति जब दोनों ठीक होंगे तब सफलता प्राप्त होगी | शरीर क्रिया विज्ञान, गति, कार्य ये तीनो मिलकर शारीरिक परिवर्तन करते हैं और मनोविज्ञान, इमोशन तथा अनुभूति ये तीनो मिलकर मानसिक परिवर्तन करते हैं | जब मानसिक और शारीरिक दोनों परिवर्तन हो जाते हैं तब हमें प्राप्त होती है सफलता |
नकारात्मक भावनाओं को ठीक करने के लिए शारीरिक और मानसिक दोनों परिवर्तनों का जुड़ना बहुत जरुरी है | आप अकेले दुखी बैठकर नकारात्मक भावनाओं को handle नहीं कर सकते | नकारात्मक भावनाओं को ठीक करने के लिए आपको Opposite action लेने बहुत जरुरी है | जैसा कि हमारे शास्त्रों में बताया गया है कि सोये हुए शेर के मुंह में हिरन अपने आप प्रवेश नहीं करता, शेर को जागना पड़ेगा, शिकार करना पड़ेगा | ठीक उसी तरह आपको भी negative इमोशन को कण्ट्रोल करने के लिए opposite एक्शन लेने होंगे |