
पंचलाइट हिंदी कहानी –Panchlight Hindi Story
इस कहानी में ग्रामीण जीवन का वास्तविक चित्रण किया है | महतो टोली में गाँव के कुछ अशिक्षित लोग हैं | उन्होंने रामनवमी के मेले से एक पेट्रोमेक्स ख़रीदा | इस पेट्रोमेक्स को गाँव वाले ‘पंचलैट’ कहकर पुकारते थे | पंचलैट खरीदने के बाद जो दस रुपये बच गये थे, उनसे पूजा का सामान लाया गया | सबको पंचलैट आने की प्रसन्नता थी | इस ख़ुशी में कीर्तन का आयोजन किया गया |
थोड़ी देर में टोली के सभी लोग पंचलैट देखने के लिए एकत्र हो गये | सरदार ने पंचलैट खरीदने का पूरा किस्सा लोगों को सुनाया | टोली के लोगों ने अपने सरदार और दीवान को श्रद्धा-भरी नज़रों से देखा | लेकिन प्रश्न यह था कि पंचलैट को जलेगा कौन | खरीदने से पहले किसी के मन में यह बात नहीं आई थी | यह निर्णय हुआ कि दूसरी पंचायत के आदमी की मदद से पंचलैट नहीं जलाया जायगा, चाहे वह बिना जले ही पड़ा रहे | आज किसी ने अपने घर में ढिबरी भी नहीं जलाई थी | पंचलैट के न जलने से पंचो के चेहरे उतर गये | राजपूत टोली के लोग उनका मजाक बनाने लगे, लेकिन सबने धैर्यपूर्वक उस मजाक को सहन किया | गुलरी काकी की बेटी मुनरी वहीँ पर बैठी थी | उसे पता था की गोधन पंचलैट जलाना जानता है | लेकिन पंचायत ने गोधन का हुक्का-पानी बंद कर रखा था | मुनरी गोधन से प्रेम करती थी | उसने अपनी बात अपनी सहेली कनेली को बताई | कनेली ने यह सूचना सरदार तक पहुंचा दी कि गोधन पंचलैट जलाना जानता है | सभी पंच सोच-विचार में पड़ गए कि गोधन को बुलाया जाय अथवा नहीं | अंत में उसे बुलाने का निर्णय लिया गया |
सरदार ने छड़ीदार को भेजा | लेकिन छड़ीदार के कहने से गोधन पंचलैट जलाने नहीं आया | बाद में गुलरी काकी गोधन के पास गयी और उसे मनाकर ले आई | गोधन ने पूछा कि ‘स्प्रिट’ कहाँ है | ‘स्प्रिट’ का नाम सुनकर सभी लोग उदास हो गये | लेकिन गोधन ने अपनी होशियारी से गरी के तेल से ही पंचलैट जला दी |
पंचलैट जलने पर सभी लोगों में प्रसन्नता की लहर दौड़ गयी | पंच गोधन को पुनः जाति में ले लेते हैं | कीर्त्तनिया लोगों ने एक स्वर में महावीर स्वामी की जय-ध्वनि की | कीर्तन शुरू हो गया | गोधन ने सबका दिल जीत लिया | मुनरी ने भी प्रेम-दृष्टि से उसकी ओर देखा | सरदार ने गोधन से कहा कि तुम्हारा सात खून माफ़ | अंत में गुलरी काकी ने गोधन को रात के खाने पर बुलाया |