रेल का डिब्बा
लेखक ए जी गार्डिनर एक यात्री रेलगाड़ी में यात्रा कर रहे थे | यह लन्दन से मिडलैंड कस्बे तक जाने वाली आखिरी ट्रेन थी | ट्रेन बहुत धीमी चाल से चल रही थी | यह रास्ते में आने वाले सभी स्टेशनों पर रूकती थी | जब ये ट्रेन चली थी तो यह यात्रियों से भरी हुई थी जो एक-एक करके अपने स्टेशनों पर उतरते गये | अंत में केवल लेखक ही अकेल ट्रेन में रह गया था |
मच्छर को मौत की सजा: विडियो द्वारा जानिए
अकेले यात्रा करने की आज़ादी
लेखक ने महसूस किया कि अकेले रेल के डिब्बे में यात्रा करने की स्वतंत्रता एक आनंदायक अनुभूति है | वह कुछ भी कर सकता है क्योंकि वहां पर किसी भी प्रकार की बाधा नहीं है | वह बिना किसी बाधा एवं नियंत्रण के आज़ादी और स्वाधीनता का आनंद उठा सकता है |
एक सहयात्री
लेखक ने खाली डिब्बे में कुछ विशेष नहीं किया | उन्होंने स्वयं को शिथिल किया और पुनः पढ़ना आरम्भ कर दिया | उसी समय उन्हें अपने सहयात्री मच्छर के बारे में पता चला | वह आया और उनकी नाक पर बैठ गया | लेखक ने अपनी नाक पर से उदा दिया | इसके पश्चात् मच्छर ने पूरे डिब्बे की यात्रा की, प्रत्येक खिड़की पर गया और लौट कर लेखक की गर्दन पर बैठ गया |
लेखक द्वारा मच्छर को मौत की सजा
मच्छर लगातार लेखक को परेशान कर रहा था और उन्हें नाराज़ कर रहा था | लेखक उसकी इस हरकत को बहुत देर तक सह नहीं पाया और उसे मृत्यु की सजा देने का निश्चय किया | उन्होंने उस पर आवारा होने और जनता को परेशान करने का आरोप लगाया | उन्होंने उस पर जोर से प्रहार किया लेकिन मच्छर उनके आक्रमण से बड़ी आसानी से बच गया | उसके इस व्यवहार से लेखक ने स्वयं को अपमानित महसूस किया | इससे लेखक का गौरव आहात हुआ | लेखक ने मच्छर को मारने के अनेक उपाय किए परन्तु उनके सारे उपाय व्यर्थ हो गये | उनकी तुलना में मच्छर उनसे भी तेज और फुर्तीला था |
सजा को निरस्त करना
लेखक ने यह महसूस किया कि मच्छर थोड़ा-सा खेल एवं थोड़ा मनोरंजन चाहता है | एक विशाल प्राणी द्वारा अपना पीछा किए जाने, जो कि उसके सामने मुर्ख और असहाय प्रतीत हो रहा था, वह उसके साथ खेलना और आनंद उठाना चाहता था | लेखक ने उसे अपने बराबरी का माना एवं मच्छर से अपनी श्रेष्ठता के उनके भाव लुप्त हो गये | वे यह अच्छी तरह जानते थे कि उदारता एवं दया मनुष्य के उत्कृष्ट गुण है | उन्होंने यह भी महसूस किया कि उदार एवं दयालु होकर वे अपनी खोई हुई प्रतिष्ठा पा सकते हैं | इसलिए, उन्होंने मच्छर को दी गई मृत्यु की सजा वापस ले ली एवं मच्छर को क्षमा करने का निश्चय किया |
एक नश्वर साथी
मच्छर को जान से मारने की अब लेखक की इच्छा नहीं थी | वे अपने मन में अपने सहयात्री मच्छर के लिए एक प्रकार का स्नेह विकसित कर चुके थे और उसे अपने समान तथा अपना नश्वर साथी मान रहे थे | लेखक के अनुसार जीवन प्रकृति का सबसे बड़ा चमत्कार है | यह चमत्कार उन दोनों के लिए ही एक रहस्य था | उन दोनों में से कोई यह नहीं जानता था कि वे कहाँ से आए हैं और उन्हें कहाँ जाना होगा |
निष्कर्ष
जब एक मित्रवत कुली ने उन्हें स्टेशन आने का संकेत किया, तब लेखक अपने विचारों में खोए हुए थे | लेखक डिब्बे से बाहर निकले और उन्होंने अपने सहयात्री को लैंप के चारों ओर चक्कर काटते हुए देखा | उन्होंने डिब्बे के दरवाजे को बंद किया एवं ग्रीष्म रात्रि की शीतलता का अनुभव किया |