महावीर जयंती का त्योहार जैन धर्म के लोग मनाते हैं | भगवान् महावीर जी का जन्म 600 वर्ष पूर्व चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष में त्रयोदशी तिथि को हुआ था | इनका जन्म लिच्छिवी वंश में बिहार में हुआ था | इनके पिता जी का नाम महाराज श्री सिद्धार्थ तथा माता जी का नाम त्रिशिला देवी था | इनके जन्मदिवस को जैन धर्म के लोग महावीर जयंती नामक त्योहार के रूप में बड़े ही धूम-धाम से मनाते हैं | वर्ष 2018 में यह त्योहार जैन धर्म के लोगों द्वारा 29 मार्च को मनाया जायेगा |

महावीर जयंती कब और क्यों मानते हैं -Mahavir jayanti in Hindi
महावीर जी के माता-पिता ने इनका नाम वर्धमान रखा | शुरुवात से ही इन्हें संसार के मोह-माया में कोई रूचि नहीं थी | परन्तु माता-पिता के कहने पर इन्होने वसंतपुर के एक महासामंत की पुत्री यशोदा से विवाह कर लिया | कुछ वर्षो के बाद इन्हें एक पुत्री की भी प्राप्ति हुई, जिसका नाम प्रियेदर्श्ना रखा | जब महावीर जी ने सांसारिक जीवन को छोड़कर वैराग्य लेने की सोची तभी उनके भाई नन्दिवर्धन ने कुछ और समय रुकने के लिए बोला परन्तु वह नहीं रुके |
तीस वर्ष तक महावीर जी ने त्याग, प्रेम व् अहिंसा का संदेश फैलाया और बाद में वे जैन धर्म के 24वें तीर्थकर बने | यह विश्व के श्रेष्ठ महात्माओं में गिने जाते हैं | महावीर जी का मुख्य सिद्धान्त “जियो और जीने दो” है | जैन धर्म के अनुयायियों के लिए इन्होने पाँच व्रत दिए, जिनमे सत्य, अहिंसा, अचौर्य, अपरिग्रह, और ब्रह्मचर्य बताए हैं | महावीर जयंती के दिन जैन बन्धु अपने मंदिरों में जाकर विशेषकर ध्यान और प्रार्थना करते हैं | अपनी शक्ति के अनुसार गरीबों को दान-दक्षिणा प्रदान करते हैं | भारत में गुजरात, महाराष्ट्र, कलकत्ता बिहार, और राजस्थान में यह त्योहार मनाया जाता है | 72 वर्ष की आयु में यह जैन धर्म के तीर्थकारों में एक बन गये और तभी से इन्हें जैन धर्म का संस्थापक भी कहा जाने लगा | इस अवसर पर जैन धर्म के अनुयायी विशेषरूप से अपने मंदिरों की सजावट करते है तथा सड़कों पर रैली भी निकालते हैं | जो लोग जैन धर्म के सिद्धांतों को अनेक लोगो तक पहुँचाना चाहते हैं वो लोग इस दिन मंदिरों में प्रवचन भी देते हैं | इस अवसर पर कई राज्यों के शराब व् मांस की दुकाने बंद रहती हैं | इस त्योहार को महावीर स्वामी जन कल्याणक तथा वर्धमान जयंती के नाम से भी जानते हैं |