
महाशिवरात्रि क्यों मनाया जाता है –Why Mahashivratri is celebrated
महा शिवरात्रि के इस पावन उपलक्ष्य पर शंकर भगवान् (शिव जी) की पूजा की जाती है | शिव जी को देवो का देव महादेव तथा कालों का काल महाकाल कहा जाता है | इन्हें अनेक नामों से जाना जाता है जैसे :- भोलेनाथ, शिव जी, शंकर जी | महाशिवरात्रि को चढ़ाया जाने वाला सबसे महत्वपूर्ण प्रसाद भांग को माना जाता है |

काफी लोगो का यह मानना है कि महाशिवरात्रि के दिन ही शंकर जी का विवाह देवी पार्वती के साथ हुआ था | देवी पार्वती तीनों लोको में सबसे सुंदर थी और इनसे विवाह करने वाले शिव जी के आस-पास हमेशा भूत और पिशाच रहते है | समुन्द्र मंथन से जो विष निकला था, संसार को बचाए रखने के लिए इसी दिन शिवजी ने उस विष को पी लिया था | महाशिवरात्रि मनाए जाने का एक कारण यह भी है कि इस दिन विष्णु जी के नाभि से एक कमल का एक पुष्प खिला यानि प्रकट हुआ और उसके बाद दोनों भगवान् ब्रह्मा जी और विष्णु जी आपस में यह बहस करने लगे कि हम दोनों में से कौन सबसे शक्तिशाली है ? लड़ते-लड़ते बात इतनी आगे बढ़ गयी कि दोनों युद्ध के लिए तैयार हो गए परन्तु उसी समय वहां पर अग्नि प्रकट हुई जिसके अंत और शुरुवात दोनों का ही अंदाजा नहीं लगाया जा सकता था | उस अग्नि का रहस्य जानने के लिए विष्णु जी एक पशु का रूप धारण किया और पाताल लोक में चले गए अग्नि का पता लगाने | तभी ब्रह्मा देव जी ने भी हंश का रूप धारण कर स्वर्ग लोक में गए परन्तु अग्नि के रहस्य का कोई पता नहीं चला फिर दोनों देवो ने अग्नि से क्षमा मांगते हुए, वास्तविक रूप में प्रकट होने का अनुरोध किया | इसके पश्चात् अग्नि में से भगवान शिवजी प्रकट हुए और बोले इस संसार में कोई छोटा-बड़ा नहीं है सभी बराबर है आप दोनों व्यर्थ ही झगड़ा कर रहे हैं | इसी दिन से महाशिवरात्रि की शुरुवात हुई |
ऐसा भी मानना है कि संसार से आरम्भ में मध्यरात्रि में शिवजी विष्णु जी एवं ब्रह्मा जी के सामने प्रकट हुए थे और अपनी तीसरी नेत्र से ब्रह्माण को समाप्त किया था | इसी दिन को महाशिवरात्रि के नाम से जाना जाता है |