
माँ का प्यार : कहानी -Mother’s Love : Story
यह कहानी प्रेरणादायक होने के साथ-ही मदर्स डे के लिए एक शानदार कहानी है | क्योंकि इस कहानी से हमें सफल होने की प्रेरणा के साथ-साथ माँ की ममता भी देखने को मिलती है |
यह कहानी दस साल के एक ऐसे लड़के की है, जो दिमागी तौर से ठीक नहीं था मतलब उसका मानसिक संतुलन ठीक नहीं था | उसकी माँ बहुत गरीब थी और वह अपने दस साल के बेटे के साथ एक टूटी-फूटी झोपड़ी में रहती थी | वह लोगों के घर में काम करती थी और अपने उस नासमझ इकलौते बेटे को पढ़ने के लिए स्कूल भी भेजा करती थी | क्योंकि वह चाहती थी कि उसका बेटा भी पढ़-लिख कर बड़ा आदमी बन सके |
एक बार जब स्कूल में सभी बच्चों की परीक्षा होती है, तब स्कूल के प्रधानाचार्य उस नासमझ बच्चे को एक लैटर लिख कर देते हैं और कहते हैं कि इसे अपनी माँ को दिखा देना | घर आकर बच्चा अपनी माँ को वह लैटर पढ़ने के लिए दे देता है | उसकी माँ वह लैटर पढ़ने के बाद काफी उदास हो जाती हैं | तभी वह बच्चा अपनी माँ से पूछता है कि प्रधानाचार्य ने जो लैटर मुझे दिया था, उसमे क्या लिखा था माँ |
उसकी माँ कहती है कि – बेटा, उसमें प्रधानाचार्य जी ने लिखा था कि आपका बेटा बहुत होशियार है और हम इसे नहीं पढ़ा पाएंगे इसलिए इसे किसी और स्कूल में पढ़ने के लिए भेज दीजिए | अपनी माँ की इस बात को सुनकर वह लड़का बहुत खुश हो जाता है | कुछ ही दिनों बाद उसकी माँ उसका दाखिला दूसरे स्कूल में करवा देती है और फिर वह और भी मन लगाकर पढ़ने लगता है | समय बीतता जाता है और वह पढ़-लिख कर एक बड़ा आदमी बन जाता है |
एक बार जब वह अपने एक बहुत ही पुरानी अलमारी से कुछ चीज़े निकालता है तो उसे अपने बचपन की कुछ किताबे और खिलौने देखने को मिल जाते हैं तभी उसमे से एक लैटर निकलकर जमीन पर गिरता है तभी उसकी नज़र लैटर पर पड़ती है और वह उस लैटर को खोलकर पढ़ता है | लैटर को पढ़ने के बाद वह लड़का बहुत भावुक हो जाता है क्योंकि उसमे लिखा था कि उसकी दिमागी हालत ठीक नहीं है और वह पढ़ने लायक नहीं |