
मेज़र कप्तान –A Sad Emotional Story
एक सोलह साल की लड़की जिसकी शादी उससे कुछ साल बड़े लड़के कप्तान जोशी से कर दी गयी थी | तीन नम्बर के बँगले में दोगुना किराया देकर कप्तान जोशी स्वयं अपनी रोगिणी पत्नी बानो के साथ रहता था | उसकी पत्नी टीवी की बिमारी के कारण रोगग्रस्त थी |
उसके ससुराल वालों ने उसे बीमार हो जाने के कारण गोठिया सैनेटोरियम में शिफ्ट करवा दिया था | एक दिन गोठिया का डॉक्टर कप्तान को अकेले में बुलाकर कहता हैं कि तुम अभी जवान हो, यह बिमारी जवानी की भूखी है | मैं देख रहा हूँ, तुम जरा भी परहेज नहीं बरतते | मरीज की भूख को दवा से जीतना होगा, मोहब्बत से नहीं | क्षणभर को सब समझकर कप्तान लाल पड़ गया | उसके बूढ़े पिता के भी कई पत्र आ चुके थे और माँ ने भी रो-रोकर चिठ्ठियाँ डाल दी थीं |
बानो से जब कप्तान जोशी का विवाह हुआ था, तो विवाह के ठीक तीसरे दिन ही उसे बानो को छोड़कर बसरा जाना पड़ा था | पहले वह अपने ताऊ और पिता से बहुत नाराज़ हो गया था, कहाँ वह ठसकेदार बांका कप्तान और कहाँ हाईस्कूल पास लड़की को पल्ले बाँधकर रख दिया | फिर तीसरे ही दिन उसे बसरा जाना पड़ा | तीन दिन की ताज़ी सुंदरी नववधू को इस तरह छोड़कर जाना कप्तान को दुश्मन की गोलीबारी से भी भयंकर लगा | उसके बाद दो वर्षों तक कप्तान युद्ध में भटक गया | बर्मा और बसरा के जंगलों में भटक-भटककर उसके साथी भी उससे अलग हो गये थे | फौजी अफसरों में सबसे कम उम्र का कप्तान ही था |
दो साल बाद जब कप्तान घर वापस पहुंचा, तो दुनिया ही बदल चुकी थी | उन दो वर्षों में बानो ने सात-सात नन्दों के ताने सुने, भतीजों के कपड़े धोए, ससुर के होज बिने, पहाड़ की नुकीली छतों पर पांच-पांच सेर उड़द पीस कर बड़ियाँ तोड़ी | कभी सुनती उसके पति को जापानियों ने कैद कर लिया है, अब वह कभी लौटकर नहीं आयेंगे | सब लोगों के ताने सुनने के बाद एक दिन वह क्षय रोग से पीड़ित हो गयी | उसे सैनेटोरियम भेज दिया गया |
जब बानो का पति कप्तान वापस आया तो वह बानो से मिलने सैनेटोरियम गया | वहां पहुंचकर प्राइवेट वार्ड के बरामदे में लेटी बानो को देखकर उसकी आँखें नम हो गयी | दो वर्षों में बानो घिसकर और भी बच्ची बन गयी थी | कप्तान को देखकर उसकी आँखों से भी आंसू आ गये | उन दिनों सैनेटोरियम के अत्यंत क्रूर नियम थे | रोगियों को उनकी अंतिम अवस्था जानकार उन्हें घर भेज दिया जाता था | अगले ही दिन डॉक्टर ने कप्तान को बाहर ले जाकर कमरा खाली करवाने का नोटिस दे दिया | कप्तान का चेहरा सफ़ेद पड़ गया | उसने आकर अपनी पत्नी से कहा कि हम कल दूसरी जगह चलेंगे | वह भी सब-कुछ समझ गयी थी |
अगले सुबह कप्तान ने देखा बानो अपनी पलंग पर नहीं थी | सब ने बानो को ढूंढा पर वह कही नहीं मिली | दूसरे दिन बड़ी दूर रथी घाट पर बानो की साड़ी मिली थी | इस बात में कोई संदेह नहीं था कि मृत्यु के आने से पहले ही उसने अपने प्राण त्याग दिए थे |
एक ही साल में कप्तान का फिर विवाह हुआ | इस बार की बहु एम. ए. पास थी | चार साल में कप्तान को दो बेटे और एक बेटी हुई | सोलह सालों में कप्तान के बैंक-बैलेंस में रुपयों और नोटों की मोटी तह जमाकर दोनों नैनीताल घुमने आये | नैनीताल के ग्रैंड होटल में वह दोनों रुके | दोनों वहां से पहाड़ी देखने के लिए निकले और रास्ते में एक छोटी-सी दूकान देखकर प्रभा ने गाड़ी रुकवा दी |
कप्तान अब मेज़र बन चुका था | दुकान में वह दोनों चाय पी ही रहे थे कि अलख-अलख करते वैष्णवियों का दल वहां से गुज़रा | तभी प्रभा और मेज़र की नज़र एक साथ लाटी पर पड़ी | मेज़र का शरीर सुन्न पड़ गया क्योंकि वह लाटी उसकी पहली पत्नी बानो ही थी | जब मेज़र ने वहां के लोगों से लाटी के बारे में पूछा तो लोगों ने बताया कि इसका शरीर नदी में तैरता हुआ मिला था | जीभ इसकी कट चुकी थी | गले में मंगल-सूत्र था | फिर हमारे गुरु महाराज ने इसे गुरुमंतर दिया | इसे भयंकर क्षय रोग था, लेकिन गुरूजी की शरण में आने से वह भी ठीक हो गया | मेज़र के लिए तो बानो मर ही चुकी थी, क्योंकि अब तो वह लाटी के नाम से जानी जाती थी | लेकिन बानो की याददाश जा चुकी थी, जिसकी वजह से वह भी कप्तान को पहचान न सकी |